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लेखनी प्रतियोगिता -12-Jun-2023 औरत क्या नहीं कर सकती


                            औरत  क्या नहीं कर सकती

                           राघव व मानसी एक दूसरे को बहुत प्यार करते  थे. दोनों शादी भी करना चाहते  थे ।  दोनों ने अपने घर में बात की घर वाले तैयार हो गए शादी भी हो गई दोनों ही बहुत खुश थे उनके घर वाले भी बहुत खुश थे।


              लेकिन कुछ  दीन के बाद मानसी  और उसकी सास में झगडे होने लगे । अब उन दोनों में बिल्कुल भी नहीं बनती थी।   प्रतिदिन  कुछ ना कुछ झगड़ा या कोई बात हो ही  जाती थी।  पहले तो राघव  इन बात को  इग्नोर करते रहा ।

        लेकिन जब पानी सिर से ऊपर उतर गया तब  राघव  बहुत परेशान रहने लगा।  रोज रोज का इस तरह का घर का माहौल व  झगड़ा देख कर  वह और अधिक परेशान रहने लगा था । ऑफिस  तौ वह प्रतिदिन  जाता था परन्तु उसका  काम में  मन नहीं लगता था।

               वह  आफिस  में भी अपनी पत्नी और अपनी मां के झगडौ के  बारे में ही सोचता रहता  था।  वह सोचता कि  किसी तरह इन दोनों का झगड़ा बंद हो । 

          लेकिन ऐसा नहीं होता हर रोज छोटी छोटी बात को लेकर झगड़ा हो ही जाता था। 

       तभी राघव ने  उन दोनो  को अलग अलग  करने का फैसला  कर लिया । 

    एक दिन वह मानसी से बोला," मानसी अब मैने  अपनी माँ से अलग रहने का फैसला कर लिया है ।"
 
                उसकी पत्नी यह जानकर पहले तो बहुत खुश हुई ।, लेकिन बाद में वह सोचने लगी ," क्या यह ठीक रहेगा ? हम अलग रहेंगे .पहले मैं अपना घर छोड़कर आर्ई और अब ससुराल भी छोड़ दु ? "

              उसका पति भी  मन ही मन अपनी फैमिली को नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन  अपनी पत्नी को खुश देखने के लिए  अपनी फैमिली से अलग रहना चाहता था । 

          राघव  अपनी पत्नी से बोला  " मानसी आज  तुम अपना जरूरी  सामान पैक कर लेना  हम  शाम को  ही अलग किराए  के मकान में जारहे हैं। " इतना कहकर वह आफिस चला गया।

               दिन में उसकी पत्नी सामान पैक करने लगी तभी उसने सोचा जब वह अपना परिवार छोड़ कर आई थी तो उसे कितनी तकलीफ हुई थी बहुत रोई थी वह आज जब उसका पति अपनी फैमिली से अलग होगा  तब वही तकलीफ उसे भी होगी । और उसने सामान पैक नहीं किया और घर के काम में लग गई ।

            शाम को जब राघव घर  आया तो सामान  पैक हुआ न देखकर  बोला  "  मामसी तुमने सामान क्यों नहीं पैक किया .?"

               मानसी बोली ,"  अब मैं  इस घर को छोड़कर नहीं जाऊंगी अपनी फैमिली से दूर नहीं रहूंगी।  एक बार अपनी फैमिली को छोड़ कर आई पर दोबारा नहीं छोड़ सकती  लडाई झगड़े तो हर घर में होती हैं तो क्या सब घर छोड़ देते हैं ? 

             मानसी ने राघव से  आगे पूछा ,"   राघव तुम खुद बताओ अपनी माँ से दूर हो कर क्या खुश रहोगे या तुम्हारी माँ खुश रहेगी जिस माँने  तुमको जन्म दिया हैं बचपन से तुमको खिला पिला कर आज इतना बड़ा किया ? क्या उसे तकलीफ़ नही होगी ?"

              यह  सब सुनकर राघव की आंखों में आंसू आ गए।   तभी  मानसी  बोली मुझे पता है मां से अलग होने का दर्द क्या होता है आज मैं एक पत्नी हु  कल मैं भी मां बनूँगी  मेरा भी लड़का होगा अगर वह अलग होगा मुझे भी दर्द होगा मेरा भी दिल रोएगा ।,"

             तभी मानसी  की सास ये   सब सुनकर   उसे गले से  लगा लिया  और बोली,"  बहू  आज से सारे झगड़े खत्म तुमने मेरी आंखे खोल दी अब   हम कभी झगड़े नही करेंगे।   आपस में मिल कर रहेंगे   एक मां बेटी की तरह सब बहुत खुश हो गये। 

      यदि औरत चाहें तो किसी को भी बदल  सकती है कोई इन्सान हो या ससुराल हो ?

          मानसी की सोच ने अपनी सास का मन बदल दिया। और उस घर के रोज रोज के झगड़े  समाप्त   हो गए। 

आजकी दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश  शर्मा " पचौरी"

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6 Comments

madhura

16-Jun-2023 06:30 PM

awesome

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Punam verma

13-Jun-2023 01:02 AM

Very nice

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वानी

12-Jun-2023 06:44 PM

Beautiful

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